Artificial mode of entertainments & Beauty of life/ 01.07.2020

 Beauty of life is remains present within the natural affections. The natural affection is nothing but a natural expression without any negative thoughts. Natural has an edge over artificial. We have to learn to recognize the natural world where there is no need to hide anything. If our attitude is autonomous, then our life will become open book and where we can feel no pressure. Actually many our hide facts might become burden for our life and with the burden we cannot enjoy the moments.



 There are numerous artificial mode of entertainment available around us. But we are still in search of happiness. The fact is clear happiness is not a material but it is inherent within us. We know scientifically that every chemical reaction have needed reagent, similarly our inherent module have also needed such type of reagent.



 Our body and soul are naturally made for achievement. Now the matter is in hand of us as what we want to do? If we have decided to make our life bed of roses, then it is really sorry to say that we are not understand the potential of our existence and it will be ended with without any notice. There are being some purpose to be here and when we have lost opportunity then our existence have no worth.



 The nature have created many species with some purpose and every creature of nature have to learn to live with each other. The ecological imbalance might be dangerous for our future existence. Every problem should have a solution but self made unnatural problems have no solution. So we have to invent more solution than a problem and it might be possible through natural intelligence.



 A day will certainly come when we will accept the importance of nature. The thought for acceptance will certainly reaches to us in the way of rays of hope.



Contd....









 प्राकृतिक सौंदर्य के भीतर जीवन की सुंदरता विद्यमान है। प्राकृतिक स्नेह और कुछ नहीं, बल्कि बिना किसी नकारात्मक विचारों के एक प्राकृतिक अभिव्यक्ति है। प्राकृतिक कृत्रिम पर बढ़त है। हमें प्राकृतिक दुनिया को पहचानना सीखना होगा जहाँ कुछ भी छिपाने की आवश्यकता नहीं है। यदि हमारा दृष्टिकोण स्वायत्त है, तो हमारा जीवन खुली किताब बन जाएगा और जहां हम बिना किसी दबाव के महसूस कर सकते हैं। वास्तव में हमारे कई छिपे हुए तथ्य हमारे जीवन के लिए बोझ बन सकते हैं और बोझ के साथ हम क्षणों का आनंद नहीं ले सकते हैं।



 हमारे आसपास मनोरंजन के कई कृत्रिम साधन उपलब्ध हैं। लेकिन हम अभी भी खुशी की तलाश में हैं। यह तथ्य स्पष्ट है कि खुशी कोई सामग्री नहीं है बल्कि हमारे भीतर निहित है। हम वैज्ञानिक रूप से जानते हैं कि हर रासायनिक प्रतिक्रिया को अभिकर्मक की आवश्यकता होती है, इसी तरह हमारे अंतर्निहित मॉड्यूल को भी इस प्रकार के अभिकर्मक की आवश्यकता होती है।



 हमारा शरीर और आत्मा स्वाभाविक रूप से उपलब्धि के लिए बने हैं। अब मामला हमारे हाथ में है कि हम क्या करना चाहते हैं? यदि हमने अपने जीवन को गुलाब का बिस्तर बनाने का फैसला किया है, तो यह कहने के लिए वास्तव में खेद है कि हम अपने अस्तित्व की क्षमता को नहीं समझ रहे हैं और यह बिना किसी नोटिस के समाप्त हो जाएगा। यहां होने का कुछ उद्देश्य है और जब हमने अवसर खो दिया है तो हमारे अस्तित्व का कोई मूल्य नहीं है।



 प्रकृति ने कई प्रजातियों को किसी उद्देश्य से बनाया है और प्रकृति के प्रत्येक प्राणी को एक दूसरे के साथ रहना सीखना है। पारिस्थितिक असंतुलन हमारे भविष्य के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है। हर समस्या का समाधान होना चाहिए लेकिन स्व-अप्राकृतिक समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। इसलिए हमें एक समस्या से अधिक समाधान का आविष्कार करना होगा और यह प्राकृतिक बुद्धिमत्ता के माध्यम से संभव हो सकता है।



 एक दिन निश्चित रूप से आएगा जब हम प्रकृति के महत्व को स्वीकार करेंगे। स्वीकृति के लिए विचार निश्चित रूप से आशा की किरणों के रास्ते में हमारे पास पहुंचेगा।

Contd....

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