05.05.2020
Employees are the backbone of any country economy,but in present scenario the way the employer and the administration dealt with the worker might be bring ditch in faith.
We should have to understand both are directly proportional to each other any rift between them might not be the good for economy.
The economy of any country depends upon the purchasing capacity of their citizen and without any earning purchasing capacity could not be achieved.
In such a horrible scenario government should help directly to their unemployed citizen as a bell out. Most private industries have very good earning mechanism even they are not usually hesitate to ignore government guidelines also
In my opinion this might be a revolutionary period, where as new working culture could be developed.
Hope for best........
कर्मचारी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में जिस तरह से नियोक्ता और प्रशासन ने श्रमिक के साथ व्यवहार किया है वह विश्वास में खाई ला सकता है।
हमें यह समझना चाहिए कि दोनों एक-दूसरे के सीधे आनुपातिक हैं, उनके बीच कोई भी दरार अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं हो सकती है।
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उनके नागरिक की क्रय क्षमता पर निर्भर करती है और बिना किसी कमाई के क्रय क्षमता हासिल नहीं की जा सकती है।
ऐसे भयावह परिदृश्य में शासन को अपने बेरोजगार नागरिक को एक बेलआउट के रूप में सीधे मदद करनी चाहिए। अधिकांश निजी उद्योगों के पास कमाई का बहुत अच्छा तंत्र है यहां तक कि वे आमतौर पर शासन के दिशा-निर्देशों को भी अनदेखा करने में संकोच नहीं करते हैं
मेरी राय में यह एक क्रांतिकारी अवधि हो सकती है, जहाँ नई कार्य संस्कृति विकसित की जा सकती है।
आशा है कि सर्वश्रेष्ठ ........
Inspired by concept of Ramrajya.
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